परिचय



नमस्कार बंधुवर!



मैं नारायण चौधरी आप सभी का अपने ब्लाग पर स्वागत करता हूं।

शिक्षा:

स्नातक (अंग्रेजी में प्रतिष्ठा)

भाषा विज्ञान में प्रवीन (एम. ए.)

संगणकीय भाषाविज्ञान में दर्शन निष्णात (एम. फिल.)

विशेषज्ञता:

संगणकीय भाषाविज्ञान (एम. फिल. एवं पी.एच.डी.)

अन्य विशेषज्ञता:

व्याकरण लेखन (व्याख्यात्मक); प्रकारात्मक भाषाविज्ञान (Typological Linguistics), सामान्य भाषाविज्ञान, सामान्य अनुवाद एवं यांत्रिक अनुवाद।

भाषाई कार्य:

हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली, ग्रेट अंदमानी एवं प्नार (जैंतिया)

वर्तमान भाषात्मक रुचि:

हिन्दी क्रिया रूप का स्वत: एवं यांत्रिक पहचान; हिन्दी क्रिया रूप रचना; हिन्दी व्याकरण एवं अन्य भारतीय आर्य भाषाएं

वर्तमान पता:

भाषाविज्ञान केंन्द्र,

भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन संस्थान,

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,

नई दिल्ली-११००६७

25 thoughts on “परिचय”

  1. नमस्ते भैया
    आज आपके ब्लॉग को पहली बार देखा । आपके ब्लॉग पर बहुत सामग्री दिखाई दे रही है । इसका मतलब आप कई दिनों से बना रहे हैं । परन्तु आज मुझे पहली बार पता चला ।

  2. Narayan bhai,

    Itna padh likh kar, jeans pahenkar, lahron mein Hero bankar photo lene se accha hai, kuch desh/samaj ke liye accha kaam karo.

    Satya

  3. apke blog ko pehli bar padha. kafi accha laga.
    apne kafi acchi mehnet ki he.

  4. श्रीमान् जी , आपका ब्लाग पढा, बहुत ही रोचक व ज्ञानवर्धक है । एक निवेदन है, होमपेज को अगर सुधार सकें तो बडी कृपा होगी । कृष्ण वर्ण के कारण पढने में परेशानी हो रही है । धन्यवाद ।

  5. Narayan, seriously i don’t know how to type in Hindi but i really liked this initiation. I would some day get some control on Hindi typing and then will continue our discussion. I can’t explain the immense pleasure i got from seeing Kanupriya here and many other poems. It was getting lost, perhaps. but after coming here i think we can go back to our good old days.

  6. Bikram!
    Ah! It’s so true!
    And I know you in particular would be missing it the most!

  7. READING YOUR BLOGS IS VERY MUCH LIKE YOU. YOU HAVE STILL IN THE MOOD OF SPROUTING YOUR BUDS AS YOUR ” I M SORRY”
    AFTER ALL IT SMELLS LIKE NOSTALGIA BUT I LIKE IT .
    YOUR LOVE FOR YOUR VILLAGE IS COMMENDABLE
    THE MEANING YOU HAVE DEDUCED REALLY ASTOUNDING
    BUT GREAT YAAR

  8. नारायण जी नमस्कार!
    आज दिवाकर जी के ब्लॉग के माध्यम से प्रथम बार आपके ब्लॉग पर आई अच्छा लगा।
    बस आपके ब्लॉग का कलेवर थोड़ा जटिल लगा। परन्तु यदि विषयवस्तु अच्छी हो तो कलेवर की जटिलता कोई मायने नहीं रखती। कनुप्रिया मेरी प्रिय रचनाओं में से एक है। इसकी ध्वन्यात्मकता एवं रसात्मकता मुझे मन्त्रमुग्ध कर देती है।

    आशा है कि आपके श्रेष्ठ विचारों से उर्वर ब्लॉग हमें पढ़ने को मिलता रहेगा।

  9. Manyvar,Naratan ji,Main to Raskhaan ko khoj rahaa tha aap ke darshan ho gaye!! Dhany hoon!!!
    ek jaroorii savaal “Kyaa aap RasKhan ke Ghanist Mitra ke baare main kuchh jaankaarii de sakte
    hain?”Yaadi haan to mere mail ID par den nen ka kast karen!!! main abhii hindi ka kshatra hoon.Gyaan
    Diijiye!!!

    1. मान्यवर नवीनजी,
      मैं साहित्य का महज एक पाठक हूं। बहुत ज्यादा जानकारी नहीं रखता साहित्य के बारे में। इसलिए आपके आग्रह को पूर्ण करना मेरे बूते से बाहर की चीज जान पड़ती है।

  10. Naraya ji,dhany vaad,us vishay par aap koi anya link hamen bhej saken to bhii uchit rahega jo Raskhan Ke Ghanisht Mitra kii jaankaaree den sake,aap kii sangat to avashy jaroor barii uchch kii hogii Maanyvaar!!

  11. नवीन जी आप को इस संकलन पर मेरी हार्दिक शुभकामनायें

    पल्लव पारीक

  12. adaraniya narayanji !
    nishchit hi aap ek mahan gyani vyakti he tabhi itni acchi abhivyakti he…
    kripyka apni rachnao ka vistrit varnan bi blog par de aur hindi bhasha ko rashtra bhasha banane ke leye ek krantikari muhim ka sriganesh kar naya itihas rache….

  13. श्री नारायण जी, क्या आपको नही लगता कि हिन्दी भाषा विज्ञान में जो भी कार्य हुआ है , वह अंग्रेजी भाषा विज्ञान की पृष्ठ-भूमि पर आश्रित है । या न्यूनाधिक उसका अनुवाद या नकल नही है ।

  14. श्री पांडे जी,
    आपकी बात तो बहुत हद तक सही है। परंतु भाषा-विज्ञान का मतलब ही होता है बहुत सारी भाषाओं के संदर्भ में किसी एक भाषा का अध्ययन। ऐसे में कोई बुराई नहीं कि हिंदी में भाषा-वैज्ञानिक कार्य अन्य भाषा-वैज्ञानिक संदर्भों से लिए जाएं। हां, यह बात जरूर है भाषा विज्ञान में वर्तमान में उपलब्ध साहित्य में अंग्रेजी की अधिकता है। परंतु हिंदी में बहुत सारे कार्य ऐसे भी हैं जो भारतीय व्याकरणिक परंपरा के आधार पर भी हुए हैं और इनमें से कई ऐसी परंपराएं हैं जो वैश्विक भाषा-वैज्ञानिक सिद्धांतों की जनक हैं।
    हिंदी भाषा-विज्ञान में हुए सारे कार्य नकल या महज अनुवाद नहीं कहे जा सकते। अगर कोई विशेष कृति आपके मन में हो तो उसकी बात अलग से की जा सकती है। परंतु यह सत्य है कि हिंदी भाषा-विज्ञान के क्षेत्र में आधुनिक भाषा-विज्ञान की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई सारे कार्य किए जाने बाकी हैं।

  15. हम भी आप के जैसे बनना चाहते है लिखना चाहते है पर लिख नही पाता कृप्‍या सर मेरा पथ प्रदर्शन करें

  16. बहुत अच्छी जानकारी आपके माध्यम से लोगों तक पहुँच रही हैं इसके लिए आपको साधुवाद। आशा है आप ऐसे ही भारतीय संस्कृति की दुर्लभ रचनाओं को लोगों तक पहुंचाते रहेंगे। जय हिन्द, जय भारत।

    1. Email ID cannot be shared publicly. But you can ask in the comments itself. I will try to answer to my best.

  17. नमस्ते नारायण जी. मै ने अभी अभी आपक ब्लॉग ज्वाइन किया है काफी जानकारी से ओतप्रोत है आपका ब्लॉग. हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए जो आप योगदान दे रहे है उसके लिए आपका अभिनन्दन. मेरा एक सवाल है कि प्रकारात्मक भाषाविज्ञानं और सामान्य भाषाविज्ञान में क्या अन्तर है? कृपया बताने का कष्ट करे.

  18. आपका ब्लॉग वास्तव में बहुत अच्छा है. आज पहली बार आया हूँ, अब मैने इसे पसंद में जोड़ लिया है. विश्वास है इससे कुछ न कुछ निशिदिन मिलता रहेगा.

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