236. राग कल्यान – श्रीकृष्ण बाल-माधुरी

राग कल्यान

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जब सब गाइ भईं इक ठाईं ।

ग्वालनि घर कौं घेरि चलाई ॥

मारग मैं तब उपजी आगि ।

दसहूँ दिसा जरन सब लागि ॥

ग्वाल डरपि हरि पैं कह्यौ आइ ।

सूर राखि अब त्रिभुवन-राइ ॥

जब गायें एक स्थानपर एकत्र हो गयीं, तब उन्हें घेरकर गोपबालकोंने घरकी ओर हाँक दिया । उसी समय मार्गमें दावानल प्रकट हो गया, दसों दिशाओंमें सब कुछ जलने लगा ।गोपबालक भयभीत होकर श्यामके समीप आये । सूरदासजी कहते हैं, सब बोले- त्रिभुवनके स्वामी! अब रक्षा करो ।’