मीरा भजनमाला

46. मीरा की विनती छै जी …………………….

दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी ! ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी आप बिन मोहे कल ना पडत है जी ! ओजी! तडपत हूं दिन रैन रैन में नीर ढले है जी गुण तो प्रभुजी मों में एक नहीं छै जी ! ओ जी अवगुण भरे हैं अनेक, अवगुण म्हारां माफ करीज्यो जी भगत बछल प्रभु बिड़द कहाये जी ! ओ जी! भगतन के प्रतिपाल, सहाय आज म्हांरी बेगि करीज्यो जी दासी मीरा की विनती छै जी ! ओजी! आदि अन्त की ओ लाज , आज म्हारी राख लीज्यो जी! : इति :