मीरा भजनमाला

40. राम रतन धन पायो …………………….

पायो जी म्हे तो राम रतन धन पायो।। टेक।। वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो।। जनम जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो।। खायो न खरच चोर न लेवे, दिन-दिन बढ़त सवायो।। सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।। `मीरा’ के प्रभु गिरधर नागर, हरस हरस जश गायो।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Select Dropdown