मीरा भजनमाला

4. म्हांरो अरजी …………………….

तुम सुणो जी म्हांरो अरजी। भवसागर में बही जात हूं काढ़ो तो थांरी मरजी। इण संसार सगो नहिं कोई सांचा सगा रघुबरजी।। मात-पिता और कुटम कबीलो सब मतलब के गरजी। मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगावो थांरी मरजी।।