मीरा भजनमाला

3. हरो जन की भीर …………………….

हरि तुम हरो जन की भीर। द्रोपदी की लाज राखी, चट बढ़ायो चीर।। भगत कारण रूप नर हरि, धर््यो आप समीर।। हिरण्याकुस को मारि लीन्हो, धर््यो नाहिन धीर।। बूड़तो गजराज राख्यो, कियौ बाहर नीर।। दासी मीरा लाल गिरधर, चरणकंवल सीर।।