21. मीरा दासी जनम जनम की …………………….
प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।। जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्यां बिन सजनी। आकुल व्याकुल फिरूं रैन दिन, बिरह कालजो खाय।। दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवे बैना। कहा कहूं कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय।। क्यूं तरसावो अन्तरजामी, आय मिलो किरपाकर स्वामी। मीरा दासी जनम-जनम की, पड़ी तुम्हारे पाय।।