12. मैं बैरागण हूंगी …………………….
बाला मैं बैरागण हूंगी। जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे, सोही भेष धरूंगी। सील संतोष धरूं घट भीतर, समता पकड़ रहूंगी। जाको नाम निरंजन कहिये, ताको ध्यान धरूंगी। गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा, मन मुद्रा पैरूंगी। प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं, चरणन लिपट रहूंगी। या तन की मैं करूं कीगरी, रसना नाम कहूंगी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, साधां संग रहूंगी।