10. आय मिलौ मोहि …………………….
राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री। तड़पत-तड़पत कल न परत है, बिरहबाण उर लागी री। निसदिन पंथ निहारूं पिवको, पलक न पल भर लागी री। पीव-पीव मैं रटूं रात-दिन, दूजी सुध-बुध भागी री। बिरह भुजंग मेरो डस्यो कलेजो, लहर हलाहल जागी री। मेरी आरति मेटि गोसाईं, आय मिलौ मोहि सागी री। मीरा ब्याकुल अति उकलाणी, पिया की उमंग अति लागी री।