मीराबाई के सुबोध पद

54. राग सिंध भैरवी

…………………….

म्हांरे घर होता जाज्यो राज। अबके जिन टाला दे जाओ, सिर पर राखूं बिराज।। म्हे तो जनम जनम की दासी, थे म्हांका सिरताज। पावणडा म्हांके भलां ही पधार््या, सब ही सुधारण काज।। म्हे तो बुरी छां थांके भली छै, घण