50. राग परज
…………………….
सहेलियां साजन घर आया हो। बहोत दिनांकी जोवती बिरहणि पिव पाया हो। रतन करूं नेवछावरी ले आरति साजूं हो। पिवका दिया सनेसड़ा ताहि बहोत निवाजूं हो।। पांच सखी इकठी भई मिलि मंगल गावै हो। पियाका रली बधावणा आणंद अंग न मावै हो।। हरि सागर सूं नेहरो नैणां बंध्या सनेह हो। मीरा सखी के आंगणै दूधां बूठा मेह हो।।11।।
शब्दार्थ /अर्थ :- साजन =प्रियतम। जोवती =बाट देखती। सनेसड़ा =सन्देश। रली बधावनां = आनन्द बधाई। नेहरो = स्नेह। बंध्या =फंस गये। दूधां =दूध की धारों से। बूठा = बरसे।