मीराबाई के सुबोध पद

5. राग रामकली

…………………….

अब तो निभायाँ सरेगी, बांह गहेकी लाज। समरथ सरण तुम्हारी सइयां, सरब सुधारण काज।। भवसागर संसार अपरबल, जामें तुम हो झयाज। निरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज।। जुग जुग भीर हरी भगतन की, दीनी मोच्छ समाज। मीरां सरण गही चरणन की, लाज रखो महाराज।।5।।

शब्दार्थ /अर्थ :- निभायां =निबाहने से ही। सरेगी =बनेगी। अपरबल =प्रबल, अपार। झयाज = जहाज,आश्रय। निरधारां =निराधारों, असहायों।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Select Dropdown