मीराबाई के सुबोध पद

21. राग सूरदासी मलार

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बरसै बदरिया सावन की, सावन की मनभावनकी।। सावन में उमग्यो मेरो मनवा, भनक सुनी हरि आवनकी। उमड़ घुमड़ चहुं दिसिसे आयो, दामण दमकै झर लावनकी।। नान्हीं -नान्हीं बूंदन मेहा बरसै, सीतल पवन सोहावनकी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर, आनंद मंगल गावनकी।।21।।

शब्दार्थ :-उमग्यो = उमंग में आ गया। भनक = धुन। दामन =दामिनी, बिजली। झर =झड़ी।

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