मीराबाई के सुबोध पद

20. राग गौंड मलार

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बादल देख डरी हो, स्याम, मैं बादल देख डरी।। काली पीली घटा ऊमड़ी, बरस्यो एक घरी। जित जाऊं तित पाणी पाणी, हुई हुई भोम हरी।। जाका पिय परदेस बसत है, भीजूं बहार खरी। मीरा के प्रभु हरि अविनासी कीजो प्रीत खरी।।20।।

शब्दार्थ :-भोम =भूमि, धरती। बहार खरी =बाहर खड़ी हुई। खरी = सच्ची।

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