14. राग दरबारी
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प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय। छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेमकी बाती बलाय।। बिरह समंद में छोड़ गया छो, नेहकी नाव चलाय। मीरा के प्रभु कब र मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय।।14।।
शब्दार्थ /अर्थ :- थे =तू। नेहड़ो = प्रेम। बाती बलाय =आग लगाकर। समंद =समुद्र। छो = हो। कब र = अरे, कब।