कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ

कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ

शहरयार

कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ

कि आज धूप नहीं निकली आफताब के साथ

तो फिर बताओ समंदर सदा को क्यूँ सुनते

हमारी प्यास का रिश्ता था जब सराब के साथ

बड़ी अजीब महक साथ ले के आई है

नसीम रात बसर की किसी गुलाब के साथ

फिजा में दूर तक मरहबा के नारे हैं

गुजरने वाले हैं कुछ लोग याँ से ख्वाब के साथ

ज़मीन तेरी कशिश खींचती रही हमको

गए ज़रूर थे कुछ दूर माहताब के साथ ||